
इस्लाम की हैवानियत
इस्लाम एक ऐसी विचारधारा है जिसके संस्थापक मुहम्मद ने अपने ही जाति कुरैश समेत दर्जनों अरब जातियों का इसलिए नरसंहार कर दिया था क्योंकि उसे छल-बल या तलवार के जोर पर इस्लाम थोपना और फैलाना था। मुहम्मद द्वारा लिखे / लिखाए कुरान में इस्लाम के नाम पर गैर-मुस्लिम को प्रताड़ित करना, उनके औरतों बच्चों को बंधक बना लेना या मुहम्मद के नाम पर धर्मान्धता फैलाना आदि वैध ठहराया गया है। मुहम्मद द्वारा बताए गए अमानवीय पैतरों में ईसाईयों, यहूदियों तथा मूर्ति-पूजन करने वालों के विरुद्ध धार्मिक भेद-भाव, घृणा तथा असहिश्रुणता वैध है (पढ़ें “60 Hateful and Intolerant verses of Quran” Parts 1 & 2; https://articles.thecounterviews.com/articles/60-hateful-intolerant-verses-quran-part-1/ and https://articles.thecounterviews.com/articles/60-hateful-intolerant-verses-quran-part-2/)। कुरआन के उन ६० में से ज्यादातर आयतें ऐसी हैं जिसकी व्याख्या दोहरे तरह से की जा सकती है। सरसरी तौर पर आम मुसलामानों को ये आयातें अन्य धर्मावलम्बियों के खिलाफ भड़काने वाले होते हैं, वैसे यह बात अलग है कि उन्हीं आयतों को जायज ठहरानें के लिए मुल्ले अलग-अलग तरकीबें निकालते हैं जिससे वैश्विक मानवाधिकार व क़ानून की नज़र में बचा जा सके।
कुरान में धृणास्पद आयतों को रखने / रचने के लिए समय-समय पर विश्व भर में, ख़ास कर धर्मनिरपेक्ष देशों में इसकी आलोचना होती रही है और लोग मुहम्मद को, जिसे मुसलमान अपना पैगम्बर मानते हैं, इसके लिए जिम्मेवार ठहराते हैं, तरह तरह की टिप्पणियाँ करते रहे हैं। याद रहे मुहम्मद वही आम व्यक्ति था जो बाद में अपने आप को पैगम्बर घोषित कर इस्लाम की शुरुवात की थीं। तत्कालीन अरब जातियों में आपसी फूट और विद्वेष था जिसका फ़ायदा उठाकर मुहम्मद ने उन्हें डरा-धमका कर या फिर तलवार के बल पर इस्लाम कबूलवाया।
इस्लाम की हैवानियत सातवीं सदी से ही चली आ रही है। ईसाईयों के खिलाफ इनकी ज्यादती इतनी बढ़ गयी थी कि ‘पहले क्रूसेड’ के द्वारा उन सभी आततायी मुसलामानों को रोम के नेतृत्व में मार कर खदेड़ दिया गया था लेकिन ये हैवानियत उनके धर्म ग्रन्थ ‘कुरान और हदीश’ में निहित हैं जो अच्छे-अच्छे लोगों को भी हैवान बना दे और यही हम आज भारत या फ़्रांस जैसे धर्मनिरपेक्ष देशों में देख रहे हैं (read Islamic Hate, Intolerance, Bigotry and Fascism; https://articles.thecounterviews.com/articles/islamic-intolerance-bigotry-fascism-global-caliphate/) ।
इस्लाम की हैवानियत सिर्फ ईसाईयों ने ही नहीं वल्कि उस समय के यहूदियों और पारसियों ने भी सही हैं। पारसियों का तो मुसलमान आक्रांताओं ने नरसंहार ही कर दिया।भारत में हिन्दुओं और सिखों ने भी इनकी हैवानियत देखी हैं। इस्लाम ने क्रूरता की जितनीं हदें पार की हैं उनमें से कुछ की झलक आपको अमृतसर के स्वर्णमंदिर के संग्रहालय में भी देखने को मिल जाएगा। उन दृश्य को देखने मात्र से उन आक्रांताओं के खिलाफ भौवें तन जाती हैं। यकीन नहीं आता कि इस्लाम का संस्थापक मुहम्मद जिसे मुसलमान पैगम्बर मानते हैं, इतना ही क्रूर रहा होगा। क्या उसकी भी सूरत-सीरत और हाव-भाव ऐसा ही रहा होगा जैसा आज के कट्टरपंथी इस्लाम के रखवालों का है ? संभव है ऐसा हो जैसा देखने को मिल रहा है।
अन्य धर्मावलम्बियों के विरुद्ध इस्लाम की बर्बरता और हैवानियत आज के समय में भी पूरा विश्व झेल रहा है। अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश में उनकी हैवानियत से लगातार नरसंहार होता चला आ रहा है। मध्य पूर्व के देशों में ईसाईयों का लगभग नरसंहार सा हो रहा है। इन हैवानों ने स्वतंत्र भारत के कश्मीर में वहाँ के मूल निवासी ‘पंडितों’ पर वो जुल्म ढाये जिसकी झलक हाल ही में बने 'कश्मीर फाइल्स' फिल्ममें देखने को मिली थी (read ‘Looking back at Ralive, Tsalive ya Galive: 1990 genocide in Kashmir’; https://articles.thecounterviews.com/articles/ralive-tsalive-ya-galive-january-1990-genocide-kashmiri-pandits/) । ईराक के यज़ीदियों पर तो इन हैवानों ने ऐसे जुल्म ढाए जो रोंगटे खड़े कर दे। पाकिस्तान में ये हैवान आये दिन सिख और हिन्दुओं की अस्मिता पर हाथ डाल रहे हैं। अब इनकी बढ़ती आवादी के कारण भारत में भी इनका जुल्म बढ़ता जा रहा है और यह सिर्फ भारत में ही नहीं वल्कि पूरे विश्व में, जहाँ भी इनकी आवादी बढ़ रही है, उन सारे देशों में इस्लामी हैवानियत बढ़ती चली जा रही है चाहे वह फ़्रांस, मलेशिया, नाइजीरिया, सूडान, CAR,पूर्वी अफ्रीका या और कोई देश हो (read ‘New Islamo-Fascism in World’; https://articles.thecounterviews.com/articles/islamo-fascism-paris-jihadi-attack-macron-pakistan-turkey-malaysia-mahathir-muslims-islam-radical/) ।
इस्लामी हैवानियत का जो रूप अभी भारत देख रहा है यह इस्लामी आतंकवाद से कहीं ज्यादा है। कल इन्हों ने राजस्थान के उदयपुर में एक व्यक्ति की गला काट कर ह्त्या कर दी। इसके पहले भी इन आतताइयों ने भारत में ही किशन भरवाड़, चंदन, कमलेश तिवारी सहित ऐसी ही कई जघन्य अपराध किए हैं। ऐसा ही उन्होंने पाकिस्तान में कार्यरत एक श्रीलंकाई नागरिक के साथ भी किया था जिसे उनहोंने सड़क के चौराहे पर जला दिया। इस्लामी हैवानियत अभी हाल के ही दिनों में स्वीडेन और फ़्रांस में भी देखने को मिली थी I ये घटनाएँ चाहे देखने में छिट-पुट प्रतीत हों, लेकिन बड़े सुचारु रूप से विश्व इस्लामिक जिहाद संगठन द्वारा चलाईं जा रहीं हैं। इनके पीछे अनेकों संगठन और समूह हैं। आज के दिन विश्व में १७० से ज्यादा जिहादी आतंकी संस्थाएँ हैं जिसका संज्ञान संयुक्त राष्ट्र को भी है।
इस्लामी कट्टरवाद फैलाने में मुल्लाओं तथा उलेमाओं का विशेष हाथ है। हर जुम्मे की नमाज में खुत्बा पढ़ा जाता है जिसमें कट्टरवादी मुल्ले काफिरों के खिलाफ युवाओं को भड़काते हैं, उनमें अतिवादी होने का बीज डालते हैं। जिहाद की तालीम उन्हें कुरान से मिलती है और नृशंस होने का प्रशिक्षण जिहादी गुटों से। मत भूलिए आज से डेढ़ साल पहले का वो विडिओ… जिसमें एक अबोध बच्ची को एक गुड़िया (काफिर) का गला काटने की तालीम चर्चा का विषय बनी थी। हैवानियत इन जिहादियों के डीएनए में प्रतीत होता है।इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि पूरे विश्व में इस्लाम के प्रति लोग धीरे-धीरे ही सही, क्रुद्ध हो रहे हैं और इस्लामी हैवानियत के प्रति एक स्वाभाविक रोष बढ़ रहा है (पढ़ें‘Factual Islamophobia in World’; https://articles.thecounterviews.com/articles/factual-islamophobia-in-the-world/) I
और विडम्बना देखिए ! बड़ा विश्व समुदाय खामोश है। वे सब याद रखें कल उनकी भी बारी आएगी। आने वाले सालों और दशकों में इस्लाम की हैवानियत से कोई भी देश, प्रांत या समुदाय अछूता नहीं रह पाएगा। जिहादी आग की धाह सबों पर पड़ेगी। काफी दिनों से कुछ आवाजें उठ तो रहीं हैं लेकिन उसका कोई असर नहीं पड़ रहा है। वक्त आ गया है विश्व समुदाय संगठित होकर इन आतताइयों का सफाया करे चाहे उसके लिए जो भी कीमत उठाना पड़े (read ‘treat the disease not Symptoms’; https://articles.thecounterviews.com/articles/islamic-hate-and-intolerance-treat-disease-not-symptoms/) । अन्यथा, हो सकता है जिहाद और इस्लामी हैवानियत के खिलाफ एक स्वाभाविक परन्तु भयंकर प्रतिक्रया फूट पड़े जो भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देशों में भी कट्टरवादी मुसलमानों का सफाया कर दे। वैसे भी आवाजें उठ रहीं हैं कि धर्मनिरपेक्ष देशों में कुरान पर प्रतिबन्ध लगे जो आम मुसलामानों में घृणा फैलाते हैं (read "Is Quran Quran a source of Hate and Intoleance? https://articles.thecounterviews.com/articles/is-quran-a-source-of-hate-and-intolerance/) । अब तो लोग यह भी मानने लगे हैं कि चीन के जिनजियांग में इस्लामी कट्टरवाद को नियंत्रण में लाने का जो मॉडल या तरीका अपनाया जा रहा है वह आज के परिपेक्ष में कदाचित जायज है।